डा० राजेंद्र कुकसाल।
मो० 9456590999

सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती रानीखेत अल्मोड़ा ने उद्यान निदेशक पर आरोप लगाया है कि वर्ष 2021-22 में मनमाने तरीके से 6 माह के भीतर कीवी कलमी पौधों की दरें 75 रुपए से 275 रुपए प्रति पौध कर बड़ी हुईं दरों पर लगभग 77000 कीवी फल के पौधोंं को हिमाचल एवं कश्मीर की व्यक्तिगत पंजीकृत नर्सरियों से क्रय कर भारी अनियमितता की गई।करगेती द्वारा इसकी शिकायत मुख्यमंत्री, कृषि एवं उद्यान मन्त्री, मुख्य सचिव, सचिव उद्यान एवं सतर्कता विभाग को की गई है।आपको बताते चलें कीवी फल अत्यन्त स्वादिष्ट एवं पौष्टिक है। तैयार फल तुड़ाई के बाद काफी समय तक सुरक्षित रह सकते हैं, इस फल को जंगली जानवर कम नुकसान पहुंचाते हैं कीवी फल की इन्हीं विशेषताओं के कारण उद्यान विभाग द्वारा प्रदेश को कीवी प्रदेश बनाने के नाम पर बर्ष 2021-22 में जिला सेक्टर, राज्य सेक्टर, केन्द्र पोषित, मुख्यमंत्री पलायन रोकथाम आदि योजनाओं में कीवी फल पौध खरीद में शासन से करोड़ों का बजट आवंटन करवाया गया जिसकी खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं।उत्तराखंड में कीवी फल बर्ष 1984- 85 में भारत इटली फल विकास परियोजना के तहत राजकीय उद्यान मगरा टिहरी गढ़वाल में इटली के वैज्ञानिकों की देख रेख में इटली से आयतित कीवी की विभिन्न प्रजातियों के 100 पौधो का रोपण किया गया जिनसे कीवी का अच्छा उत्पादन आज भी प्राप्त हो रहा है साथ ही कीवी के इन पौधों से कीवी फल पौध उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं,बर्ष 1991-92 मेंं तत्कालीन उद्यान निदेशक डा० डी. एस. राढौर द्वारा राष्ट्रीय पादप अनुवांशिक संसाधन, फागली शिमला हिमाचल प्रदेश से कीवी की विभिन्न उन्नतशील किस्मों के पौधे मंगा कर प्रयोग हेतु, राज्य के विभिन्न उद्यान शोध केंद्रौ यथा चौवटिया रानीखेत, चकरौता (देहरादून) , गैना/अंचोली ( पिथौरागढ़) , डुंण्डा (उत्तरकाशी)आदि स्थानों में लगाये गये जिनसे उत्साहवर्धक कीवी की उपज प्राप्त हुई। डाक्टर राठौर का उद्देश्य यही था कि आगामी बर्षो में इन पौधों को मदर प्लांट के रूप में प्रयोग कर इनसे उच्च गुणवत्ता के कीवी के पौधे तैयार किए जा सकें*।राष्ट्रीय पादप अनुवांशिक संसाधन ब्यूरो NBPGR क्षेत्रीय केंद्र, निगलाट ,भवाली नैनीताल में भी 1991 – 92 से कीवी उत्पादन पर शोधकार्य हो रहे हैं।यह केन्द्र सीमित संख्या में कीवी फल पौधों का उत्पादन भी करता है, इस केन्द्र के सहयोग से भवाली के आसपास के क्षेत्रों में कीवी के कुछ बाग भी विकसित हुये है।राज्य में कीवी बागवानी की सफलता को देखते हुए कई उद्यान पतियौ ने बागवानी बोर्ड व उद्यान विभाग की सहायता से कीवी के बाग विकसित किए हैं।उत्तराखंड में कीवी की सभी व्यवसायिक प्रचलित किस्मों की फल पौध उत्पादन की संभावना होते हुए भी अनियमित तरीके से हिमाचल प्रदेश व कश्मीर की व्यक्तिगत पंजीकृत नर्सरियों से ऊंचे दामों में कीवी की पौध क्रय करना उद्यान विभाग की कार्यप्रणाली पर कई सवालिया निशान खड़े करता है,कीवी फल पौध खरीद में किया गया है संगठित भ्रष्टाचार -उद्यान पति वीरबान सिंह रावत , देहरादून ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचनाओं के आधार पर कीवी फल पौध खरीद में लगता है संगठित भ्रष्टाचार किया गया है निदेशक द्वारा गठित विभागीय क्रय कमेटी ही सवालों के घेरे में -कमेटी गठन हेतु कार्यालय ज्ञाप में कई बार संशोधन किया गया। मूल कार्यालय ज्ञाप पत्रांक 2334/ दिनांक 26 नवम्बर 2021 द्वारा किया गया जिसमें केवल राष्ट्रीय बागवानी वोर्ड (NHB) से मान्यता प्राप्त पौधालयों की दरें आमंत्रित की गई।जावेद नर्सरी कश्मीर एवं सूरत सिंह नर्सरी हिमाचल प्रदेश जिनसे कीवी के पौधों की खरीद की गई NHB से मान्यता प्राप्त नहीं थी निदेशक द्वारा मूल विज्ञप्ति में पत्रांक 2439 / दिनांक 1 दिसंबर 2021 में आंशिक संशोधन कर NHB के साथ ही राज्य सरकार से लाइसेंस प्राप्त नर्सरियों को भी प्रतिभाग करने की अनुमति दी गई जिससे चहेती नर्सरियों का पंजीकरण हो सके।पुनः निदेशालय के पत्रांक 2684/ दिनांक- 16 दिसम्बर 2021द्वारा इस कमेटी में डा० अमोल वशिष्ठ एसोसिएट प्रोफेसर वानिकी विश्वविद्यालय रानीचौरी टिहरी गढ़वाल को भी सम्मिलित किया गया है।पौड़ी जनपद में ही बर्ष 2021-22 में हिमाचल प्रदेश की व्यक्तिगत नर्सरियों से 24042 कीवी की फल पौध जिस पर 66,11,550 (छहसठ लाख ग्यारह हजार पांच सौ पचास) रुपए की धनराशि व्यय कर जनपद के कृषकों को विभिन्न योजनाओं में निशुल्क बांटी गई।उद्यान अधिकारी पौड़ी द्वारा 31 जनवरी को कीवी की फल पौध खरीद का प्रस्ताव स्वीकृति हेतु निदेशालय को भेजा गया निदेशालय द्वारा फरवरी 02 को ही स्वीकृति प्राप्त कर दी गयी। जिला उद्यान अधिकारी पौड़ी द्वारा फरवरी 04 2022 को सूरत सिंह नर्सरी हिमाचल को कीवी फल पौध आपूर्ति के आदेश दिए गए।फ़रवरी, 09, 2022को जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय पौड़ी को सूरत सिंह नर्सरी हिमाचल प्रदेश का विल व पौधे भी प्राप्त हो गये।फल पौध आपूर्ति के आदेश के पांच दिनों के भीतर ही विल व पौधे प्राप्त होना दर्शाता है कि आपूर्ति से पहले इन पौधों का नर्सरी में सत्यापन नहीं करवाया गया जो कि निविदा के शर्तों के अनुसार जरूरी था।जनपद पौड़ी में आपूर्ति कीवी फल पौध का विवरण योजना वार -1. निशुल्क फल पौध वितरण योजना के अन्तर्गत दस हजार फल पौध @275 Rs कुल धनराशि सत्ताइस लाख पचास हजार।

2.जिला योजना के अन्तर्गत – सात हजार सात सौ पचास फल पौध @275 Rs कुल धनराशि इक्की लाख इकतीस हजार दो सौ पचास।

3. हार्टिकल्चर टैक्नोलॉजी मिशन- 2992 @275 कुल धनराशि आठ लाख बय्यालिस हजार आठ सौ।
4.उद्यान विशेषज्ञ कोटद्वार- निशुल्क फल पौध वितरण योजना के अन्तर्गत 3300@275 कुल धनराशि नौ लाख सात हजार पांच सौ।
अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चम्पावत बागेश्वर, टेहरी, देहरादून उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग आदि में भी लाखों रुपए के कीवी पौधों की खरीद हिमाचल प्रदेश एवं कश्मीर की व्यक्तिगत पंजीकृत नर्सरियों से हुई है।
अभिलेखों में सूरत सिंह नर्सरी हिमाचल प्रदेश एवं जावेद नर्सरी कश्मीर कीवी की केवल दो किस्मों हैवार्ड एवं एलीसन हेतु ही पंजीकृत हैं किन्तु इन नर्सरियों से मुख्य उद्यान अधिकारियों द्वारा एलिसन एवं हैवार्ड के अतिरिक्त टैमूरी,ब्रुनो एवं मोंटी किस्मों की कीवी फल पौध भी क्रय की गई।
हिमाचल एवं कश्मीर के मंगाई गई कीवी फल पौधों में जीविता प्रतिशत काफी कम है अधिकतर पौधे मर चुके हैं अब निदेशालय द्वारा जिला उद्यान अधिकारीयों से उक्त पौधों का जीविता प्रतिशत बढ़ाने का दवाव डाला जा रहा है। जिसका एक उदाहरण जिला उद्यान अधिकारी पिथौरागढ़ ने पहले कीवी पौधों की जीविता प्रतिशत 55 व 60 प्रतिशत दर्शाई जिसे बाद में 85 से 90 प्रतिशत कर दिया गया।
उत्तराखंड में कीवी की सभी व्यवसायिक प्रचलित किस्मों की फल पौध उत्पादन की संभावना होते हुए अनियमित तरीके से हिमाचल प्रदेश व कश्मीर की व्यक्तिगत पंजीकृत नर्सरियों से ऊंचे दामों में कीवी की पौध क्रय करना उद्यान विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान तो लगाता ही है।
क्या ऐसे उद्यान विकास से बनेगा उत्तराखंड आत्मनिर्भर?

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