ब्यूरो रिपोर्ट कोटद्वार:
कोटद्वार में पीतांबर दत्त बड़थ्वाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में स्ववित्तपोषित बी. एड.विभाग में समकालीन भारत और शिक्षा तथा ईपीसी प्रथम के अंतर्गत डॉ दया किशन जोशी एवं रश्मि बहुखंडी के अनुदेशन में उत्तराखंड की सांस्कृतिक विविधता नामक प्रकरण पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ । जिसमें छात्र अध्यापकों एवं छात्र अध्यापिकाओं के द्वारा उत्तराखंड के लोकगीत एवं लोक नृत्य के विविध रंग प्रस्तुत किए गए। कार्यशाला को पूरी तरह से पारंपरिक एवं सांस्कृतिक तरीके से आयोजित किया गया। विद्यार्थियों ने उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों के रीति रिवाज एवं परंपराओं का लोक नृत्य जैसे पौणा, थडिया –चौंफला, तांदी और छपेली एवं लोकगीत मांगल, रितु गीत, होली गीत और बाजूबंद गीतों के माध्यम से मंचन किया ,विषय विशेषज्ञ के रूप में गढ़वाल सभा के महासचिव राकेश मोहन ध्यानी एवं दूरदर्शन के जाने-माने कलाकार जितेंद्र काला उपस्थित थे। छात्रों की रंगारंग प्रस्तुतियों के बाद विषय विशेषज्ञों के द्वारा उत्तराखंड की लोक साहित्य एवं लोक संगीत से छात्रों को अवगत करवाया गया। राकेश मोहन ध्यानी ने लोक भाषा के मानकीकरण से संबंधित अपने विचार छात्रों के साथ साझा किए एवं विभिन्न लोकगीत और लोकनृत्य की जानकारी छात्रों को दी। जितेंद्र काला ने मनमोहक पांडव गीत गाकर कार्यशाला की भव्यता को और अधिक बढ़ा दिया। कार्यशाला की मुख्य अतिथि महाविद्यालय की प्राचार्य डॉक्टर जानकी पंवार ने छात्रों की प्रस्तुतियों एवं प्रयास को साधुवाद देते हुए उत्तराखंड के सांस्कृतिक विविधता के पोषण एवं संरक्षण के लिए किए जाने वाले प्रयासों की सराहना की और छात्रों को सांस्कृतिक संरक्षण के लिए अभिप्रेरित किया । इस अवसर पर स्ववित्तपोषित बी. एड. के विभागाध्यक्ष डॉ हरीश कुमार, भारती रावत, संदीप किमोठी, शेखर मैठाणी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ रश्मि बहुखंडी ने किया ।