माता पिता धरती पर ईश्वर का रूप होते हैं उनकी अवहेलना ना करें : शिक्षिका विभा नौडियाल
अभी हाल ही की बात है उनसे मुलाकात हो गयी किसी पार्क में ,पहले तो पहचान ही नही पाई, एक महिला जो जीवन पर्यंत अपने परिवार की देखभाल और नौकरी करते नहीं थकी उनकी सेवानिवृत्त होने के कुछ ही महीनों में ऐसी हालत देखकर मैं व्यथित हुई। कहने के लिए बहुत धन दौलत है नाती पोते हैं भरापूरा परिवार है लेकिन अब उनका अपना कोई ठिकाना नही है। कभी बेटी के बच्चों को पालने के नाम पर उसके घर पर समय काटती हैं तो कभी बेटे बहू के बच्चे के पालने के नाम पर उनके पास रहती हैं । बात करते करते उनकी आवाज भर्रा रही थी। महसूस हुआ कि जीवन जैसा दिखता है वैसा होता नही।मनुष्य भावनाओं का पुतला हैं। जिस व्यक्ति ने एक शानदार जीवन जिया हो बच्चे जब उनको हासिये पर रख देते हैं तो दर्द आंखो से या बीमारियों के रूप में अक्सर झलकता है। माता पिता अपना जीवन ही बच्चों पर समर्पित कर देते हैं। जब आराम का समय आता है और अपना जीवन शांति के साथ जीने का मन करता है तब उन पर पहरे लगा दिए जाते हैं जैसे, पति पत्नी अगर बैठे हैं तो बहुएं ताना मार देते हैं अभी तक भी प्यार कम नहीं हुआ, या कहीं घूमने का मन है तो यह उमर है तुम्हारे घूमने की,बच्चों को यह मत खिलाओ यह उनकी सेहत के लिए अच्छा नहीं होता, आपके सानिध्य में वह बिगड़ जाएंगे ,ज्यादा प्यार मत करो, या उनके सामने गलत शब्द मत बोलो, यह हर वक्त अपनी बेटी के साथ बातें करते रहते हैं, या बैंक के काम आप से नहीं होंगे हमारे हाथ में दे दो हम ऑनलाइन ही सारे काम कर दिया करेंगे। इस प्रकार की हजारों बातें होती है जो सुबह से शाम तक बुजुर्गों के कान में पढ़ती रहती है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे यह जो दो बुजुर्ग मनुष्य घर में उपस्थित हैं इन्होंने जीवन भर कुछ किया ही नहीं है ।बेटा बहू समझते हैं कि यह मूर्ख हैं हम दुनिया देख रहे हैं और जो हम कह रहे हैं वही सही है। बिना इसकी परवाह किए हुए कि आपका व्यवहार आपके बुजुर्ग माता-पिता को इतना आहत कर रहा है। एक समय के बाद ना तो बहुत अच्छे भोजन की लालसा रहती है और ना ही किसी तरह के फैशन कपड़ों की ,बुजुर्ग अगर चाहते हैं तो दो शब्द प्यार के और अधिकार के । जिस घर को उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से बनाया उस घर में उसी अधिकार से रहने का मन करता है उनका। दिल जार जार रोता होगा जब बेटा बहू उनकी संपत्ति का आकलन करते होंगे।शारीरिक कमजोरियों और व्याधियों से तो शायद एक बार लड़ भी लें लेकिन मानसिक और दिल की चोट से उभर पाना वह भी जब अपनों से मिली है तो ज्यादा असहनीय हो जाती है। हालांकि दुनिया में सभी लोग ऐसे नहीं हैं लेकिन 95% घरों की यही कहानी है हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सबको ऐसी स्थिति से एक दिन गुजरना है। गाड़ी ,बंगला ,बड़ी-बड़ी नौकरियां किसी काम की नहीं है अगर हमने अपनों से भावनात्मक लगाव नहीं रखा और अपने माता-पिता का आदर सत्कार और सम्मान नहीं रखा । धिक्कार है ऐसे जीवन को! धिक्कार है!
मैं नहीं जानती कि कितने लोग मेरे इस लिखे को पढ़ेंगे लेकिन मैं चाहती हूं मेरी उम्र के सारे लोग इसे पढ़ें और अपने माता-पिता की भावनाओं का ख्याल रखें ।उन्होंने आपके लिए हमेशा दुआएं मांगी है। उनकी स्वतंत्रता का हनन ना करें। ।एक बार उनके पास बैठकर दुख- सुख की बातें करें। किसी विषय पर भले अपने मन की करें पर उनकी सलाह जरूर लें। उन्हें अच्छा लगेगा, उन्हे अपना जीवन सफल लगेगा। उनकी इस सफलता में सहभागी बने
और अपना जीवन भी सफल बनाएं।