बने आज जो कुछ भी हैं माँ
वो सब है तेरी ही मेहनत ।
आँखे खोली दुनियाँ में जब
तेरा चेहरा देख के खोली ।
शब्द जो पहला बोला हमने
वो भी तुझसे शुरू हुआ था ।
पास बहुत सा शब्दकोष था
पर हमारा पहला शब्द तुम्ही तो थीं ।
तेरी हर झिड़की में छिपता
ढ़ेरों सा अनमोल प्यार है।
सींचा हमको मिलकर तुमने
अपने ही स्नेह की चादर में ।
काँटो भरी हर राह को तुमने
किया फूल सा नरम हमेशा ।
है अभिलाषा दिल से हमारी
पहचानें जाएं नाम से तेरे ।
दे नहीं सकते हम कुछ भी तुझको
बस दिल से करते सम्मान हैं तुम्हारा।
रहो दीर्घायु निरोग हमेशा
हम बच्चों की यही दुवा है ।
संगीता फरासी
……मातृ दिवस की सभी को ढेरो शुभकामनाएं
