पत्रकारिता एक दर्पण है, जो हमारे जीवन एवं समाज की कठोर वास्तविकता एवं सच को प्रतिबिंबित करता है। लोकतंत्र के चतुर्थ स्तंभ के रूप में उभरकर आना अपने आप में प्रमाण है उसकी शक्ति एवं प्रभावशाली प्रवृत्ति का ,आज के परिदृश्य में पत्रकारिता जीवन का एक अपरिहार्य अंग बन गई है,विगत समय की भांति आज पत्रकारिता समाज, भूगोल ,क्षेत्रवाद आदि के संकुचित दायरे तक सीमित नहीं है,ऐसा कहा गया है कि कलम में तलवार से ज्यादा ताकत होती है सिर्फ इसलिए नहीं कि कलम सत्य से अवगत करवाती है बल्कि कलम एक जरिया है लोगों को जोड़ने का, एक राष्ट्र को सफल बनाने का, वह दृढ़ता प्रदान करने का जो हमें अपनी कमियों पर विजय पाकर मिलती है ।
निर्भीक व स्वतंत्र पत्रकारिता लोकतंत्र की बुनियाद है। सामाजिक जागरण एवं राष्ट्र निर्माण में पत्रकारिता का अभूतपूर्व योगदान है। यह लोकतंत्र की जीवंतता को बढ़ाता है ।लोकतंत्र की चौथी संपत्ति के रूप में पत्रकारिता का यह उत्तर दायित्व है कि वह न सिर्फ सत्य की पैरवी करें बल्कि निष्ठा एवं संवेदनशीलता के साथ लोगों की सेवा एवं बेजुबान की आवाज बने। चिंताजनक रूप से हाल में पत्रकारिता के सिक्के का नकारात्मक पहलू पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग स्वतंत्रता का दुरुपयोग एवं सत्य तथ्य छुपाने जैसी घटनाएं सामने आई हैं ,इससे न केवल राष्ट्र निर्माण में व्यवधान उत्पन्न होता है बल्कि लोकतंत्र के संचार में गिरावट आती हैं ।आत्महित के लिए पत्रकारिता के नैतिक मानदंडों का हाथ से बनाना लोकतंत्र की हार है। इस प्रकार सार्वजनिक विश्वास का हनन राष्ट्र के नियम कमजोर करता है।
यह महत्वपूर्ण है कि विचारशील पत्रकारिता समुदाय नैतिक मानदंडों का पालन सुनिश्चित करें और पत्रकारिता को बेदाग एवं सर्वहितकारी कार्य के रूप में पूर्व स्थापित करने का प्रयास करें।
यह अत्यंत जरूरी है कि लोकतंत्र के स्तंभों पर कोई दरार न आए तभी लोकतांत्रिक राष्ट्र आसमान की ऊंचाइयों को छू सकेगा ।पत्रकारिता का मूल उद्देश्य सेवा भाव होना चाहिए ।समाचार पत्रों में महान शक्ति होती ह।लेकिन जिस तरह जल की एक मुक्त धारा देश के पूरे तटीय क्षेत्र को जलमग्न कर देती है और फसलों को बर्बाद कर देती है उसी प्रकार एक अनियंत्रित कलम भी नष्ट करने का कार्य करती है।
गार्गी नौडियाल
छात्रा-

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