•शिक्षक विशेष
परिचय -डॉ0 उमेश चमोला
जन्म स्थान- कौशलपुर, जिला रुद्रप्रयाग
जन्म तिथि- 14.06.1973
शिक्षा- एम.एस-सी, एम. एड, पत्रकारिता स्नातक (रजत पदक), डी. फिल
कृत कार्य-
1- शासकीय कार्य-
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के क्रम में उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा के लिए पर्यावरण अध्ययन (कक्षा 3 से 5 के लिए ) पाठ्यपुस्तक निर्माण में समन्वयक, लेखक और संपादक के रूप में कार्य।
कक्षा 6, 7 और 8 के हिन्दी विषय में वित्तीय साक्षरता पर आधारित कहानियों का लेखन।
भारत सरकार के पेयजल मिशन ग्रामीण के अंतर्गत स्वच्छता पर आधारित गीत, कविता और कहानियों का प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्तर तक के बच्चों के लिए लेखन।
उत्तराखण्ड के सामान्य ज्ञान पर आधारित लोकसंगीतमय सामग्री के अंतर्गत उत्तराखण्ड की वनस्पतियां और जंतु पर गीत का लेखन।
एन.सी.ई.आर.टी. नई दिल्ली द्वारा तैयार बच्चों के लिए कहानी की पुस्तक ‘बरखा‘ के गढ़वाली भाषा में अनुवाद और संपादन में प्रतिभागिता।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में पर्यावरण शिक्षा फोकस पेपर के निर्माण में चेयर पर्सन के रूप में कार्य।
वर्ष 2010 से 2017 तक राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान और 2018 से 2020 तक समग्र शिक्षा के अंतर्गत माध्यमिक स्तर के शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षण साहित्य का विकास और प्रशिक्षण का समन्वयन।
एस.सी.ई.आर.टी उत्तराखण्ड द्वारा विकसित विभिन्न प्रशिक्षण साहित्य,पत्र-पत्रिका , शोध ग्रंथ जैसे आनन्दम, कौशलम, बालवाटिका , प्रर्वतन आदि में लेखक के रूप में कार्य।
– व्यक्तिगत कार्य-
विद्यालयों में विभिन्न अवसरों पर बच्चों के लिए देशभक्तिपूर्ण गीतों पर आधारित पुस्तक ‘राष्ट्रदीप्ति‘ का लेखन ।
विद्यालयों में पर्यावरण पर आधारित कार्यक्रमों के सफल संचालन के लिए पर्यावरण शिक्षा पाठ्य सहगामी क्रियाकलाप पुस्तक का लेखन।
बच्चों को स्थानीय भाषा गढ़वाली से जोड़ने के लिए पर्यावरण से संबंधित बाल नाटिकाओं की पुस्तक ‘ बणद्यो कि चिट्ठि‘ का लेखन।
बच्चों में गढ़वाली भाषा के प्रति रुचि जाग्रत करने के लिए लियोटाल्स्टाय की कहानियों और शेक्सपियर के नाटकों का गढ़वाली अनुवाद।
उत्तराखण्ड की लोककथाओं पर आधारित तीन पुस्तकों का लेखन ।
हिन्दी में विज्ञान कथा, विज्ञान पहेली, बाल कविता, गीत और गढ़वाली भाषा में बाल कविता, नाटक, व्यंग्य कविता, खंडकाव्य आदि पर आधारित 22 पुस्तकों का लेखन।
बाल कहानियों का जापानी, पंजाबी और बांग्ला भाषाओं में अनुवाद।
‘निरबिजु‘ उपन्यास श्री गुरुराम राय विश्वविद्यालय देहरादून के एम. ए स्तर तथा उत्तराखण्ड की लोककथाएं बी.ए. स्तर के पाठ्यक्रम में सम्मिलित।
डा. उमेश चमोला के साहित्य में नारी पात्रों का चरित्र चित्रण विषय पर श्रीमती अनुराधा शर्मा द्वारा शोध।
कई अंतराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर की शोध पत्रिकाओं में शोधपत्रों का प्रकाशन।