डिस्कवर उत्तराखंड 24 न्यूज़ द्वारा आयोजित उत्तराखंड गौरव रत्न सम्मान 2023 से सम्मानित शिक्षाविद नामीता ममगाईं बी एस नेगी महिला प्राविधिक प्रशिक्षण संस्थान, देहरादून में ऑनरेरी प्रधानाचार्य हैं,महानगरों का ऐश्वर्य छोड़कर अपनी जन्मभूमि की ओर वापिस लौटने वाले पर्वतवासियों की फेहरिस्त में नामिता ममगाई का नाम प्रमुखता से शामिल है। विज्ञान और शिक्षा में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त नामिता ममगांई ने पत्रकारिता और विधि में भी स्नातक उपाधि प्राप्त की है। विज्ञान की समझ को नवाचार के जरिए छात्रों में रोपने के लिए उन्होंने अद्भुत और मौलिक प्रयोग किए हैं। शिक्षा जगत में उनका नाम वैज्ञानिक पद्धति से शिक्षा देने वाली अध्यापिका के रूप में जाना जाता है। 26 वर्षों तक उन्होंने दिल्ली स्थित एयर फोर्स स्कूल में भौतिक विज्ञान पढ़ाया है। 2 वर्ष तक एयर फोर्स गोल्डन जुबली इंस्टीट्यूट में गणित विषय का अध्यापन किया है। पत्रकारिता और सृजनात्मक गतिविधियों में गहरी रूचि के कारण वह निरंतर रचनात्मक गतिविधियों में संलग्न रहती हैं। कानून और संविधान विशेषज्ञ के रूप में भी उनकी विद्वता अनेक मंचों पर प्रस्फुटित होती रही है। हिमालयी सरोकारों से गहरी जुड़ी रही नामिता ममगाईं हिमालयी अंचल की सांस्कृतिक गतिविधियों में भी निरंतर शामिल रही हैं,लगभग तीन दशक तक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सक्रिय रहने के बाद उन्होंने महसूस किया कि तमाम उपलब्धियों के बावजूद उनके द्वारा अपने अंचल को कुछ दे पाना अभी शेष रह गया है। फिर क्या था? एक दिन उन्होंने तय किया कि वह उत्तराखंड में शिक्षा क्षेत्र में, खासकर बालिकाओं की शिक्षा के लिए काम करेंगी। दिल्ली छोड़ देहरादून आकर उन्होंने ओएनजीसी स्थित बी एस नेगी महिला प्राविधिक प्रशिक्षण संस्थान में बतौर प्राचार्य पदभार ग्रहण किया और नई पीढ़ी की बालिकाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाने का अभियान शुरू किया। इस संस्थान को उनकी सेवाएं सर्वथा अवैतनिक हैं। उनके नेतृत्व में दुर्गम और दूरस्थ पर्वतांचल की ज़रूरतमंद बालिकाएं अपने कौशल को निखार रही हैं।ऐसे दौर में जब भौतिकवादी, आत्मकेंद्रित और स्वपोषण की हवा अधिसंख्य लोगों को सामाजिक सरोकारों से विमुख करती जा रही है तब नामिता जी का संकल्प नई उम्मीदें बंधाता है। जिस पड़ाव पर लोग सेवानिवृत्ति के बाद जीवन के उत्तरार्द्ध को आरामतलब बनाने की अपेक्षा करते हैं उस पड़ाव को वह ऊर्जा से सराबोर सामाजिक नवजीवन का आगाज़ बना देती हैं, नए मिशन की शुरुआत का पर्वकाल बना देती हैं। हिमालय की बेटियों को सशक्त बनाने का उनका प्रयास सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

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