राजस्थान के जालौर में अनुसूचित जाति के छात्र के साथ हुई घटना का विश्लेषण!
भारत ने वर्ष 2022 में अंग्रजो कि गुलामी से आजाद हुए 75 वर्ष पूर्ण करने पर अमृत महोत्सव मनाया,हर घर तिरंगा अभियान चलाया लेकिन जहाँ आजादी के अमृत महोत्सव पर पूरा देश खुशियां मना रहा था वहीं राजस्थान के जालौर जिले में एक अध्यापक ने एक छात्र को पीटकर इसलिए मार डाला कि उसने अध्यापक के घड़े से पानी पी लिया और वह बच्चा अनुसूचित जाति से था अब सवाल खड़ा होता है कि आज 75 वर्ष बाद भी हमारा समाज जातिवाद वाली गुलामी से आजाद नहीं हो पाया है ,आखिर शिक्षा देने वाले शिक्षक द्वारा इस तरह की घटना को अंजाम दिया जाना सम्पूर्ण शिक्षक जगत के लिए एक दुःखद है,हालांकि उस शिक्षक पर कानूनी कार्यवाही की गई लेकिन क्या कानूनी कार्यवाही से समाज अपनी इस मानसिकता से बाहर आ पायेगा? इस जातिगत भेदभाव के लिए जहाँ इंसान की व्यक्तिगत सोच जिम्मेदार है वहीँ इसके लिए सरकार भी जिम्मेदार है जो सिर्फ अपने निजी स्वार्थ के लिए जातियों के आधार पर आरक्षण देती है और पिछड़ी जाति,अनुसूचित जाति ,जनजाति आदि के प्रमाणपत्र बांटकर लोगों के बीच मे जातिगत भेदभाव करने के लिए प्रमाणपत्र भी दे देती है,आज हर इंसान इतना शिक्षित है कि शायद आरक्षण की आवश्यकता नहीं है सभी अपनी मेहनत के बल पर आगे बढ़ सकते है क्योंकि सभी को एक समान शिक्षा का अधिकार है, राजस्थान के जालौर की यह घटना बहुत निंदनीय है ,