शीर्षक-माँ,एक नमन
माँ एक ध्वनि,
ईश्वर का रूप है।
जब मैं इस जगत में आई
मेरे रुदन से यही ध्वनि आई
माँ माँ माँ।
जब-जब भी मैंने ठोकर खायी
मेरे होठों पर आवाज़ ये आई
माँ माँ माँ ।
जब जब बचपन को
याद करूं मैं
यादों में मेरी तुम ही आईं
माँ माँ माँ ।
तेरी ममता की छांव में माँ
तेरी मीठी मुस्कान की ठांव में माँ
तेरे जीवन की लगन में माँ
तेरी उस मेहनत की थकन में माँ
तेरी उस कठिन डगर में माँ
मैं आज भी तुझे याद करती हूँ।
अपने जीवन के हर विप्लव में
ताजगी की तरलता बन के
तू फिर से लौट आई माँ
मेरे जीवन की सफलता बनके
तुझे नमन है माँ
बारम्बार नमन।

2 thought on “शिक्षिका अंजली डुडेजा की माँ पर लिखी शानदार कविता”

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